चंद्रपुर जिल्हा प्रसिद्द ऐतिहासिक ठिकान most popular historical places in chandrapur



यहाँ के ऐतिहासिक जगहों के बारेमे जानने से पहले जाते है कुछ खास विशेषताएं ।। 
 
महाराष्ट्र का चंद्रपुर अधिकतम 47 डिग्री से., न्यूनतम 7 डिग्री से.के साथ दुनिया का सबसे गर्म जिल्हा माना  जाता है, महाराष्ट्र का चन्द्रपुर जिला बिटिश शासन के दौरान चांदा  नाम से जाना जाता था।  यह जगह इंद्रदेवता की नगरी भी  मानी जाती है इसीलिए इसे इंद्रपुरी के नाम से भी जाना  है। यहाँ गोंडराजाओ  ज़माने का किला है जिसके दिवार  लम्बाई करीब ११ किमी है।  यहाँ का क्षेत्रफल ११४४३  वर्ग किमी तक फैला हुआ है, यहाँ की मुख्य भाषाएँ मराठी ,हिंदी, तथा अंग्रेजी है।  यहाँ का ताडोबा राष्ट्रिय उद्यान देश विदेश में काफी प्रसिद्द है , यहाँ आम तौर पर तेंदुआ,बाघ,भालू,बन्दर,हिरन,नीलगाय,मगरमच्छ,अदि प्रकार के वन्य जिव तथा कई प्रकार के पक्षी देखने  मिल सकते है। चंद्रपुर नागपुर से १५२ किमी है,यहाँ आने के लिए आपको ट्रेन,बस, की सुविधा है।  पुरे भारत में जितने बाघ है उससे ६०% बाघ इसी जंगल में पाए जाते है इसीलिए ये जगह टूरिस्ट अट्रैक्शन भी है। 

अब जानते है यहाँ की कुछ खास ऐतिहासिक जगह के बारे में 



 अंचलेश्वर मंदिर चांदा  फोर्ट रेलवे स्टेशनसे २ किमी  दुरी पर यह  मंदिर स्थित है, मंदिर भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन है पर्यटकों तथा भक्तो के लिए यह ९. ००  बजे से ५. ००  बजे तक खुला रहता है। यह मंदिर में प्रवेश करते ही गणेश मंदिर ,हनुमान जी मूर्ति तथा मंदिर के  प्रवेश करते ही शिव लिंग के दर्शन होते है।  बात यह भी है की यहाँ नंदी के कण में कुछ बोलने से आपकी मनोकामना पूरी होती यह १२ वि से १८ वि शताब्दी तक  राजधानी था। यहाँ मंदिर के पास एक झरपट नदी है। कहा जाता है कि, बल्लारशाह का  गोंड राजा को एक स्किन की  बीमारी थी वो यहाँ के कुंड में  रोज नहाया करता था जिससे  उसकी ये बीमारी दूर हुई। आज भी भक्त इस नदी का पानी बोतलो में भरकर अपने साथ ले जाते है। 



महाकाली मंदिर  मंदिर चंद्रपुर का प्रसिद्द मंदिर है। यह  प्राचीन मंदिर गोंड राजवंश के धुंडी राम साह द्वारा 16वीं शताब्दी के आसपास बनवाया गया था। मंदिर में प्रवेश करते ही दायी तरफ हनुमान जी का मंदिर ,आगे गणेश मंदिर ,और मंदिर के अंदर प्रवेश करते ही माता महाकाली के दर्शन होते है। यहा अप्रेल के महीने में एक मेला का आयोजन किया,  दूर दूर से भक्त माता के दर्शा के लिए आते है। इस मंदिर को एक ट्रस्ट द्वारा चलाया जाता है ,तथा भारतीय पुरातत्व विभाग भी इसकी देखरेख करता है। 



बल्लारशाह का किल्ला  चंद्रपुर से १२ किमी दूरीपर यह किल्ला  वर्धा नदी के पूर्व तट पर स्थित है, खांडक्या बल्लारशाह राजा ने बल्लारशाह नमक नगर की स्थापना की जिसे आज बल्लारपुर के नाम से भी जाना जाता है। इसे १३ वि शताब्दी में बनाया गया,  किले  की सही तरीके से मरम्मत न होने के कारन यह अभी खंडहर में तब्दील हो रहा है,  हालांकि पुरातत्व विभाग द्वारा इसके  

 दीवारों की सवर्धन  किया गया।  किले के मेन गेट से अंदर जाते ही पुरे आपको रानीमहल ,देखने को मिलेगा। 
यह जगह राजा और रानी के आराम के लिए नदी के तट  पर बनी है , साथ में यह किला अंडरग्राउंड है जहा तबेला, प्रतीक्षालय ,और बहरी रास्ता देखने को मिल सकता है। 



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