The rise of vainganga river वैनगंगा नदी उदय

                                                                                                तबसे इस नदी का नाम वेनगंगा पड़ा 

मध्यप्रदेश: शुरुवात  करने से पहले आइये जानते है की, नदी का नाम वैनगंगा कैसा पड़ा क्या   कुछ इसके पीछे की कहानी है। इस नदी का उगम कहा से हुआ और इसकी पौराणिक कहानी क्या है। कहा जाता है की सातपुडा  पर्वतो   के निचे डोंगरगढ़ संस्था थी जिसका राजा धार्मिक तथा शिवभक्त  था।  राजा की शिव जी पर अटूट श्रद्धा थी।  राजा को एक गंगा नामक कन्या थी, और राजा को पुत्र नहीं था इसीलिए राज्य को एक राजकुमार की कमी महसूस हो रही थी।  उसकी पूर्ति करने के लिए राजा ने वेन  पुत्र को दत्तक लिया।  राज्य काफी खुशहाल था तथा दोनो भाई बहिन  एक दूसरे से काफी प्रेम करते थे।



एक बार राज्य में बरसात  नहीं हुई  जिसके चलते पानी गंभीर समस्या उत्पन्न हुई , खेती के लिए , तथा पिने के लिए पानी की उपलब्धि नहीं थी जिसके कारन राजा काफी परेशांन  हुआ।  इस का हल निकलने के लिए राज्य के विद्वान् पण्डितोसे मिलके एक एक विधिवत पूजा का आयोजन किया गया।  उसी रात राजा के सपने में भगवन शिव आये और कहा की पूजा के जगह से १२१ हाथो की दूरीपर एक खुदाई की जाये, जहा से पानी की प्रवाह होगा और उस
पानी को जाने के लिए रास्ता तैयार करके दे तथा पानी हमेशा चालू रहे इसीलिए वहा किसी की बलि भी देनी होगी।


राजा ने अगले ही दिन सभा में सब कहानी बताई और फिर उस पर अमल किया गया, और जैसे ही खुदाई की गयी, ब पानी की जलधारा खुदाई की गयी जगह से बहने लगी। राजा और प्रजा काफी खुश हुई राजा ने वेन को बुलाने के लिए सैनिको को बुलाया साथ में बलि देने के लिए एक लड़को को भी बुलाने के लिए कहा। बलि  की बात वेन को पता चली तो वेन वहां पंहुचा और खुदकी बलि  वहा देने के  राजा से अनुरोध करने लगा। राजा दुखी हुआ लेकिन प्रजाके के  हित के लिए राजा ने वेन की बात मान ली। 
 वे जिस जगह से खुदाई की उस से निकलते हुए पानी के प्रवाह में वेन ने छलांग लगा दी ये खबर राजा की पुत्री गंगा को चली ,वो दौड़ते हुए वह आयी गंगा बहुत दुखी हुई और उसने ने वेन को बहार आने के लिए कहने लगी। लेकिन वेन ने पानी से बहार आने के लिए मन किया साथ ही गंगा को कहा की तुम भी इस पानी में छलांग लगाओ फिर हम दोनों स्वर्ग में आनंद से रहेंगे। ये सुन कर गंगा ने पानी में छलांग लगा दी और  देखते ही देखते वो दोनों पानी के तेज बहाव में दोनों बह गए। 
                        


तबसे उस नदी का नाम वेनगंगा पड़ा , आगे चलके उस नदी का नाम धीरे धीरे वैनगंगा हो गया। 

अब जानते है नदी के बारे में नदी को लम्बाई करीब  ७४९  किमी है, नदी मध्यप्रदेश के सिओनी जिल्हे से उगम होती है ,फिर आगे  भंडारा जिल्हे से महाराष्ट्र में प्रवेश करती है। ऊंचाई करीब ४८० फ़ीट और इस नदी की खास बात यह भी  के आशिया  का सबसे बड़ा मिटटी  का बांध इसी नदी पर बना हुआ है। नदी एक और खास बात यह भी है की यह नदी दक्षिण से ६५० किमी बहती ये नदी महाराष्ट्र के पिमपलघट से देवटोक तक ४.५ . किमी उत्तर की तरफ बहती है ,और फिर से ये दक्षिण की तरफ बहने लगती है। 
यहाँ पर भगवन शिव का पौराणिक मंदिर है, जिसका वर्णन पुराणों में लिखा गया है। 

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